हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पीरियड से पेंशन लाभ का रास्ता साफ हो गया है। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट से पारित आदेशों को राज्य की सुखविंद्र सिंह सुक्खू सरकार ने लागू करने का फैसला लिया है। इसके तहत सोमवार को सरकार ने छह पन्नों की अधिसूचना जारी कर इस फैसले को लागू कर दिया। इसके तहत अब कर्मचारियों को पेंशन के लाभ रेगुलर पीरियड के बजाय कॉन्ट्रैक्ट पीरियड से मिलेंगे। इसके लिए वित्त विभाग की जारी अधिसूचना में कर्मचारियों को एक माह का समय विकल्प चुनने के लिए दिया है। अधिसूचना के साथ ही इसके लिए एक स्पेशल परफोरमा जारी कर इसे 9 जुलाई से पहले भरने को कहा गया है। इस परफोरमा को भरकर कर्मचारी अपने अनुबंध कार्यकाल से पेंशन के वित्तीय लाभों का हकदार बन सकता है।
उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2003 से पहले भर्ती हुए कर्मचारियों को पुरानी पेंशन की व्यवस्था दी गई है। हालांकि राज्य की सुक्खू सरकार ने इस पेंशन योजना को प्रदेश में फिर बहाल कर दिया है। पेंशन प्रावधानों के तहत हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों का पेंशन के लिए कार्यकाल रेगुलर पीरियड से गिना जाता था। यानी जिस डेट से कर्मचारियों को नियमित किया जाता था, उसी दिन से पेंशन लाभ का पात्र माना जाता था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर की गई थी। इस आधार पर सात अगस्त 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने शिला देवी के केस पर सुनवाई के बाद अपने आदेश पारित कर कॉन्ट्रैक्ट पीरियड से ही कर्मचारियों को पेंशन लाभों के लिए पात्र माना था।
बताते चलें कि शीला देवी ने हिमाचल सरकार व अन्य को पार्टी बनाते हुए वर्ष 2020 में इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लिहाजा पिछले साल पारित इन आदेशों को राज्य सरकार ने अब जारी कर दिया है। इन आदेशों के अनुसार हिमाचल प्रदेश सिविल सर्विस कंट्रीब्यूटी पेंशन रूल्स 2006 की अधिसूचना संख्या के प्रावधानों के तहत यह नियम रेस्ट्रोस्पेक्टिव जारी होंगे। यानि इन नियमों को 15 मई 2003 और उसके बाद भर्ती हुए सभी कर्मचारियों को इसका सीधा लाभ मिलेगा। इसका मतलब यह हुआ कि उक्त समयावधि में अनुबंध पर भर्ती हुए कर्मचारियों को उसी तिथि से पेंशन के वित्तीय लाभ मिलेंगे।
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Toggleएनपीएस लेने वालों को कॉन्ट्रैक्ट पीरियड से नहीं मिलेगा पेंशन लाभ
राज्य सरकार की ओर से जारी किए गए कार्यालय आदेश में एक अनोखी शर्त लगाई गई है। इसमें कहा गया है कि अभी जिन कर्मचारियों ओल्ड पेंशन के बजाय नेशनल पेंशन सिस्टम यानी एनपीएस के लिए विकल्प दिया है, वे कॉन्ट्रैक्ट सर्विस को पेंशन के लिए काउंट करने के पात्र नहीं होंगे। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने 15 मई 2003 से हिमाचल में एनपीएस को लागू कर दिया था, जिसे 31 मार्च 2023 को फिर से ओल्ड पेंशन में बदल दिया गया है।
कर्मचारी 30 दिन में देंगे विकल्प
हिमाचल प्रदेश कर्मचारियों को 30 दिन के भीतर अपने हेड ऑफिस या हेड ऑफ डिपार्टमेंट के माध्यम से विकल्प देना होगा। यह विकल्प निर्णायक होगा और इसे बाद में बदला नहीं जा सकेगा। यदि किसी कर्मचारी ने विकल्प नहीं दिया तो यह माना जाएगा कि वह कॉन्ट्रैक्ट सर्विस को सीसीएस पेंशन रूल्स 1972 के तहत काउंट नहीं करवाना चाहता है।
कॉन्ट्रैक्ट अवधि में मौत पर नहीं मिलेगी फैमिली पेंशन
यदि कर्मचारियों की मृत्यु उनके नियमित होने के बाद हुई है, तो परिवार के सदस्यों को समायोजित परिवार पेंशन का लाभ मिलेगा। अगर अनियमित अवधि के अनुबंध के दौरान ही मृत्यु हो गई है, तो पेंशन का अधिकार नहीं होगा। यह विकल्प मिलने के बाद संबंधित विभाग की कंपीटेंट अथॉरिटी कॉन्ट्रैक्ट सर्विस को काउंट कर इसके बारे में एक आर्डर पास करेगी, जिसे संबंधित विभाग के कर्मचारियों की सर्विस बुक में भी अटैच किया जाएगा।
“सुप्रीम कोर्ट के पारित आदेशों के आधार पर राज्य सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट पीरियड से पेंशन लाभ देने की अधिसूचना जारी कर दी है। इसके लिए एक माह का समय दिया गया है। कर्मचारियों को परफोरमा भरकर अपना विकल्प देना होगा” – देवेश कुमार, प्रधान सचिव, वित
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